अमेरिका से वापिस आये कुछ लोगों ने बताया है कि वे लोग टिकट लेकर अमेरिका गए थे लेकिन उन्हें फ़र्ज़ी डॉक्यूमेंट बताकर वापिस भेज दिया गया। हो सकता है ट्रेवल एजेंट ने कोई तिकड़म लड़ा कर भेजा हो और यहां से कोई चूक रह गयी हो. यूँ एजेंट अक्सर 'डंकी रुट' का ही इस्तेमाल करते हैं जिसके तहत पहले खाड़ी के किसी देश या छोटे देश के माध्यम से मेक्सिको या कनाडा पहुंचाया जाता है वहाँ कुछ समय काम करने के बाद उन्हें अमेरिका के किसी दूरस्थ हिस्से में भिजवा दिया जाता है. 40-50 लाख देकर या घर बार बेच कर जोखिम उठाना मेरी दृष्टि में अक्लमंदी नहीं कही जा सकती। C -17 सैन्य विमान से आने वालों में काफी गिनती 25 साल से काम आयु वालों की थी जिनमें से अधिक्तर मोटा पैसे ख़र्च करके या क़र्ज़ लेकर गये थे. हो सकता है आगे से लोगों को समझ आ आये। सूत्रों के मुताबिक कुछ देशों ने घर वापसी के बाद अपने नागरिकों को भरोसा दिलवाया है की उनकी हर संभव मदद की जायेगी। भारत में भी इस मसले पर सोच विचार होना चाहिए और ट्रेवल एजेंट्स या एजेंसीज के रजिस्टर्ड होने की नियमित जांच होनी चाहिये। हमारे देश में लोगों को मलाई खाने का जो चस्का लग गया है यह सब उसी का नतीजा है. पुलिस चाक -चौबन्द हो और कानून सख्त हो तो यहाँ भी ऐसा तुरन्त हो सकता है. डोनाल्ड ट्रम्प ने पद ग्रहण करते ही जो कहा था उसे कर दिखाया है। इसी मद्देनजर वह चनाव चुनाव जीतने में सफ़ल रहे। यहां उल्लेखनीय है की ये लोग अब कई देशों में वैध दस्तावेज़ के साथ भी नहीं जा सकेंगे क्योंकि ये देश अमेरिकन वीसा नीति को फॉलो करते हैं।
बताने की ज़रुरत नहीं कि लाखों की संख्या में अभी भी अवैध भारतीय अमेरिका एवं अन्य देशों में बसे हुए हैं. उन्हें वापिसी के लिये तैयार रहना चाहिये अमेरिका में ऐसे पहुंचने वालों की संख्या एक करोड़ से अधिक है जो अन्य छोटे देशों से वहां बसे हुए हैं जिनमें गुआटेमाला,मेक्सिको ,होंडुरस और एल साल्वाडोर प्रमुख हैं.
होंडुरस की आबादी 95 लाख के आस पास है HDI ( ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स ) के हिसाब से यह कमज़ोर/ औसत देश है। सेंट्रल अमेरिका में ऐसे कई छोटे देश हैं जिनके बाशिंदे जीविका के लिए अमेरिका का रुख करते आये हैं। अतीत में ये देश विभिन्न देशों का हिस्सा बनते रहे हैं अधिकतर देशों की Per Capita GDP $6000-7000 के आस पास रहती है। समझने के लिए बता दूँ फ्रांस की आबादी 6 करोड़ से अधिक है और HDI (वैरी हाई केटेगरी) की है एवं Per Capita GDP $ 66000 के आस पास हैं यानी ऊपर बताये गए देशों से 8-10 गुणा अधिक। इसी तरह United Kingdom की आबादी भी 6-7 करोड़ के बीच है और GDP Per Capita भी फ्रांस के आस पास ( $63, 000) है। भारत की Per Capita GDP $ 2700 के आस पास है लेकिन HDI (एवरेज) है.जबकि अमेरिका की GDP Per Capita $86000 एवं आबादी 34-35 करोड़ है वहां प्रति व्यक्ति महीना सैलरी 5 लाख के आस पास है.
North European देश Sweden की आबादी एक करोड़ है एवं Per Capita GDP $96000 से अधिक है।प्रति व्यक्ति सैलरी 4-5 लाख महीना है भारत में सैलरी के हिसाब से प्रति व्यक्ति सालाना आय 180,000 से 200,000 के बीच बनती है. अमीर -गरीब के आय में भारी अंतर है। इंग्लैंड में यह सालाना 48 लाख के आस पास है सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में सम्भवता नार्वे , स्विट्ज़रलैंड , होन्ग कोंग, डेनमार्क फ्रांस, ब्रिटेन जर्मनी आस्ट्रिआ, ऑस्ट्रेलिआ,न्यूजीलैण्ड, इजराइल आदि आते हैं यह आंकड़े बढ़ते घटते रहे हैं नॉर्वे -स्वीडन आदि में गरीबी नहीं है इसीलिए ये देश धरती का स्वर्ग कहलाते हैं.


Post a Comment